‘हिंदी कविता को आज अगर प्रासंगिक रहना है तो उसे अंतिम जन से जुड़ना होगा

अलीगढ़ 14 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कला संकाय के सभागार में राजभाषा (हिंदी) कार्यान्वयन समिति द्वारा आयोजित हिंदी दिवस के अवसर पर ‘हिंदी सप्ताह समारोह’ का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व सह-कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि आज हिंदी को जनता से जोड़ने और इसे क्लिष्टता से निकाल कर आसान बनाने के जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसे केवल सेवन की भाषा नहीं बल्कि सेवा की भाषा समझना होगा। प्रो. गुलरेज ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि हिंदी आज केवल भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपने पैर पसार चुकी है। प्रो. गुलरेज ने कहा कि आज अधिकाधिक रूप से हिंदी की किताबों को पढ़ने की आवश्यकता है। हिंदी भाषा और साहित्य में रुचि उत्पन्न करना होगा तभी हिंदी भाषा की उन्नति और भी संभव हो सकेगी।
समारोह के मुख्य वक्ता प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, प्रोफेसर, मानविकी संकाय एवं निदेशक, अंतरराष्ट्रीय प्रभाग, इग्नू, नई दिल्ली, ने हिंदी कविता के समकालीन परिदृश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। हिंदी कविता के विगत 60 वर्षों की धाराओं एवं विचारधाराओं का विश्लेषण करते हुए प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले साठ वर्षों से हिंदी कविता की ताकत का आधार महात्मा गांधी का ‘अंतिम जन’ रहा है और आज भी अगर इसे प्रासंगिक बने रहना है तो उसे अंतिम जन को अपने यहाँ स्थान देना ही होगा। उन्होंने कहा कि आज की कविता में उन्होंने जन सरोकारों, प्रगतिशील मूल्यों एवं आंदोलनधर्मी चेतना की प्रवृत्तियों को रेखांकित किया। पिछले साठ वर्षों की कविता में आत्मालोचन, प्रेम एवं गृहस्थ जीवन की प्रवृत्तियों को विवेचित करते हुए प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी कविता में यह प्रवृत्तियां सदैव बनी रहीं किंतु उनका रूप बदलता रहा। स्त्री एवं पुरुष की प्रेम कविताओं की तुलना करते हुए प्रो. श्रीवास्तव का कहना था कि इन दोनों की कविताओं में बुनियादी अंतर मौजूद रहता है। गृहस्थ जीवन की कविता नब्बे के दशक के बाद की प्रवृत्ति है, क्योंकि श्रीवास्तव जी का मानना था कि उदारीकरण के बाद साहित्यकारों ने गृहस्थ जीवन को महत्त्वपूर्ण मानते हुए कविता में स्थान देना शुरू किया। प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी कविता का समकालीन परिदृश्य चमकदार दिखाई दे रहा है।
कला संकाय के अधिष्ठाता, प्रो. आरिफ नजीर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हम हिंदी से प्रेम करते हैं किंतु हमारे लिए सभी भाषाएं महत्त्वपूर्ण हैं। भारत की उन्नति सभी भाषाओं को लेकर ही संभव हो सकती है। अन्य भाषाओं से हिंदी में तथा हिंदी से अन्य भाषाओं में अधिकाधिक अनुवाद कार्य करने की आवश्यकता है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मो. आशिक अली ने कहा कि आज अमुवि में जितना कार्य हिंदी भाषा में हो रहा है, वह उल्लेखनीय है। प्रो. आशिक ने राजभाषा (हिंदी) कार्यान्वयन समिति के सचिव के रूप में साल भर के कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर अतिथियों को पुष्प-गुच्छ देकर सम्मानित किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन प्रो. मेराज ने दिया तथा संचालन प्रो. शंभुनाथ ने किया। समारोह के संयोजक प्रो. शाहुल हमीद के अलावा हिंदी विभाग के समस्त शिक्षक, कर्मचारी तथा भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य मे अहमदी स्कूल फॉर दी विजुअली चैलेंज्ड मे हिन्दी भाषा दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल की प्रधानाचार्या डॉ नायला राशिद ने कहा कि हिन्दी भाषा भारत की मूल भाषा है और हमारी संस्कृति और संस्कारों की पहचान है।
सिराजुद्दीन शेख ने कविता का पाठ किया। रजिया बानो ने हिन्दी भाषा के इतिहास पर भी विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन इरम फातिमा ने किया।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह अ.मु.वि .सिटी स्कूल में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें हिंदी के शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य ने अपने विचार प्रस्तुत किये।
डॉक्टर जुल्फिकार ने कहा कि हिंदी भारतवर्ष की राजभाषा आज ही के दिन घोषित की गई थीं। प्रधानाचार्य सैयद तनवीर नबी ने कहा कि हिंदी भाषा में वह शक्ति है जो भारत के जनमानस में एकता स्थापित कर सकती है। कार्यक्रम में तनवीर अहमद ने काव्य पाठ किया, नाहिद अकबरी ने सुविचार प्रस्तुत किया , शीबा खान ने हिंदी के महत्व पर बात की । उप प्रधानाचार्य डॉ फैयाज उद्दीन ने हिंदी भाषा की उपयोगिता पर अपने विचार रखे।
फरिहा अफजाल ने सभी उपस्थितजनों का धन्यवाद किया।
ए.एम.यू. सिटी गर्ल्स हाई स्कूल में हिंदी दिवस कार्यवाहक प्रधानाचार्य जावेद अख्तर की अध्यक्षता में एवं सांस्कृतिक प्रभारी एवं उप प्रधानाचार्या फरजाना नजीर के मार्गदर्शन में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर छात्राओं द्वारा बहुत ही सुंदर पोस्टर बनाए गए एवं एक निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शिक्षिका दरख्शां नय्यर द्वारा एक स्वरचित कविता प्रस्तुत की गई। सैयदा सफिया सैफुल्लाह द्वारा हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। आलिया ने बहुत सुंदर गीत की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का संचालन फोजिया शकील ने किया हिंदी शिक्षिकाओं श्रीमती दरक्शां नय्यर, श्रीमती हुमा सिद्दीकी एवं श्रीमती रूही सुल्तान के निर्देशन में कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हुआ।
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